मेरा नाम ललित है मैं आगरा का रहने वाला हूं, मैं बैंक में नौकरी करता हूं, मैं काफी समय तक तो कानपुर में ही जॉब कर रहा था लेकिन जब कानपुर से भी मेरा ट्रांसफर हो गया तो उसके बाद मैंने अपने बीवी बच्चों को कुछ समय के लिए आगरा अपने माता पिता के पास ही छोड़ दिया और उसके बाद मैं वहां से कोलकाता आ गया। जब मैं कोलकाता आ रहा था तो मैं यह सोच रहा था कि मैं तो इससे पहले कोलकाता कभी भी नहीं आया हूं, मैं पहली बार ही कोलकाता जा रहा था। मैं ट्रेन में सफर कर रहा था, मेरे दिमाग में सिर्फ यही बात चल रही थी की क्या मुझे कुछ समय के लिए अपनी पत्नी और बच्चों को आगरा में ही रखना चाहिए या अपने साथ कोलकाता लेकर आना जाना चाहिए, मैं इस दुविधा में था और उसी बीच मैं जिस ट्रेन में था मेरे आगे एक कपल बैठ गए, उनकी उम्र भी लगभग मेरे जितने ही रही होगी। कुछ देर तक तो मैंने उनसे बात नहीं की लेकिन जब मेरी उनसे बात होने लगी तो उन्होंने मुझे अपना परिचय दिया, उनका नाम प्रशांत है और उनकी पत्नी का नाम कावेरी।


मैंने उनसे पूछा आप लोग कहां जा रहे हैं और कहां के रहने वाले हैं, वह मुझे कहने लगे कि हम लोग कानपुर के रहने वाले हैं और कोलकाता जा रहे हैं, मैंने उन्हें कहा कि क्या आप लोग कोलकाता किसी से मिलने जा रहे हैं या फिर वहां कुछ काम के सिलसिले में जा रहे है, प्रशांत मुझे कहने लगे कि मैं कानपुर का रहने वाला हूं और मैं कोलकाता में नौकरी करता हूं, मैंने उन्हें कहा अरे भैया यह तो बड़ा ही अजीब इत्तेफाक हो गया, मैं भी इससे पहले कानपुर में जॉब करता था लेकिन मेरा ट्रांसफर कोलकाता हो चुका है और मैं बैंक में जॉब करता हूं। वह मुझे कहने लगे कि चलिए यह तो बहुत अच्छी बात है, अब उनसे मेरी अच्छी बात होने लगी थी और उनकी पत्नी के साथ भी मैं बात करने लगा था, उनकी पत्नी मुझसे अपने बच्चों की बड़ी शिकायत ही कर रही थी और कह रही थी कि उन्होंने तो मेरे नाक में दम कर रखा है, वह लोग मुझे बहुत परेशान करते हैं, मैंने उन्हें कहा कि बच्चे तो सबके एक जैसे ही होते हैं, वह लोग तो बहुत शरारत करते हैं।

मैंने उन्हें बताया कि मेरे बच्चे भी बहूत शरारत करते हैं लेकिन मुझे उनके साथ बिताने को ज्यादा वक्त नहीं मिलता परंतु मेरी पत्नी हमेशा ही इस बात से नाराज रहती है कि आप बच्चों को कुछ भी नहीं कहते, वह मुझे कहने लगे कि बिल्कुल आप के तरीके के ही मेरे पति भी हैं, यह भी हमारे बच्चो को कुछ नहीं कहते और हमेशा ही बच्चों की गलतियों पर पर्दा डाल देते हैं, मैं इन्हें कई बार समझाती हूं कि बच्चों की गलतियों पर पर्दा डालना भी अच्छा नहीं है इससे बच्चे और भी ज्यादा बिगड़ जाते हैं, मैंने उन्हें कहा कि यह तो आप बिल्कुल सही कह रही हैं लेकिन यह उम्र ही ऐसी है कि बच्चे शरारत करते ही हैं लेकिन थोड़ा बहुत तो हमें भी उन पर कंट्रोल करना चाहिए, इस बात से वह भी मुझे कहने लगी हां यह बात तो आप सही कह रहे हैं। उन लोगों से मेरी इतनी घनिष्ठता बढ़ गई कि मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि हम लोगों के बीच इतनी अच्छी बातचीत हो जाएगी। जब मैं कोलकाता पहुंचा तो मैंने उनसे पूछा कि मुझे इस एड्रेस पर जाना है, वह कहने लगे कि आप यहां से टैक्सी ले लीजिए आपको टैक्सी सीधा ही आपके एड्रेस पर पहुंचा देगी। मैंने स्टेशन के बाहर से ही टैक्सी ले ली और मैं उस एड्रेस पर पहुंच गया, मेरे एक पुराने मित्र कोलकाता में रहते थे इसलिए मैं उनके पास ही कुछ दिन रुका, जब मेरा रूटीन सुचारू रूप से चलने लगा तो मैं अब खुद ही आने जाने लगा, मुझे धीरे धीरे सब कुछ पता भी चलने लगा था इसलिए मैंने एक छोटा घर किराए पर ले लिया और जब मुझे कुछ समय हो गया तो मैंने अपनी पत्नी और अपने बच्चों को भी बुलाने की सोची। एक दिन मैंने अपनी पत्नी को फोन करते हुए कहा कि कुछ दिनों बाद तुम यहीं आ जाना, वह कहने लगी कि हमें भी आपके बिना अच्छा नहीं लग रहा और आपकी बहुत याद आती है, मैंने अपनी पत्नी से कहा कि बस कुछ ही दिनों की बात है मैंने अपने रहने के लिए घर ले लिया है और तुम लोग कुछ समय बाद मेरे पास ही आ जाना, मैं कोई अच्छा स्कूल भी देख लेता हूं जिसमें कि बच्चों का एडमिशन हो पाए।

यह कहते हुए मैंने फोन रख दिया और एक दिन मैं अपने ऑफिस जा रहा था तो उस दिन मेरी मुलाकात कावेरी से हो गई, वह मुझे देखते ही पहचान गए, वह बहुत खुश होने लगी, उसके साथ में उसके बच्चे भी थे उन्होंने मुझसे पूछा कि आपका सब कुछ सेटल हो चुका है, मैंने उन्हें कहा कि हां मैं अब पूरी तरीके से हर जगह के बारे में जान चुका हूं और मुझे रास्तों की भी जानकारी हो चुकी है, मैंने उन्हें अपना एड्रेस दे दिया और कहा कि आप कभी घर पर आइए, मेरी रविवार के दिन छुट्टी होती है, वह कहने लगी ठीक है मैं प्रशांत से इस बारे में बात करूंगी, हम लोग कभी आपके घर पर आते हैं यह कहते हुए वह भी चली गई। मुझे भी ऑफिस के लिए देर हो रही थी इसलिए मैं भी ऑफिस चला गया, मैं जब ऑफिस पहुंचा तो मेरी पत्नी का भी फोन आ गया, मैंने कुछ देर तक तो अपनी पत्नी से बात की लेकिन मैं काम में व्यस्त था इसलिए मैं ज्यादा देर तक उसके साथ बात नहीं कर पाया, मैंने उसे कहा मैं तुम्हे शाम को फोन करता हूं, जब मैं शाम को घर लौटा तो मैंने अपनी पत्नी को फोन किया और कुछ देर तक उससे बात की, मैं जब घर पहुंचा तो उसके बाद मैं आराम करने लगा।

जिस दिन मेरी छुट्टी थी उस दिन कावेरी मेरे घर पर आ गई, मैंने कल्पना भी नहीं की थी कि वह छुट्टी के दिन घर पर आ जाएंगी। जब वह घर पर आई तो वह अकेली थी, मैंने उसे पूछा आज आप घर पर कैसे आ गई। मेरे सारे कपड़े बिखरे हुए थे, मेरा अंडरवियर भी मेरे बिस्तर पर ही पड़ा था। मैंने अपने शरीर पर भी कुछ कपड़े नहीं पहने थे, मैंने तोलिया लपेटा हुआ था। वह मुझे कहने लगी कोई बात नहीं इसमें शर्माने की क्या बात है। मैं समझ गया यह मेरे साथ आज अपन चूत मरवाना चाहती है। मैंने भी उन्हें बैठा दिया, मै उनके बगल में बैठा हुआ था, मैं जब कावेरी से बात कर रहा था तो मेरा लंड खड़ा होने लगा। वह मुझे कहने लगी लगता है आपके अंदर से कुछ बाहर निकल रही है, जब उन्होंने यह बात कही तो मैंने उस तोलिए को हटा दिया, मेरा लंड एकदम से 90 डिग्री पर खड़ा हो गया। कावेरी भी अपने आपको नहीं रोक पाई, उसने जब मेरे लंड पर हाथ लगाया तो मेरा लंड गर्म हो रखा था। वह कहने लगी मुझे  आपके लंड को चूसना है, मैंने उन्हें कहा आपको किसी ने मना थोड़ी किया है। जैसे ही कावेरी ने मेरे लंड को अपने मुंह में लिया तो वह बड़े अच्छे से मेरे लंड को चूस रही थी। मेरे अंदर से और भी उत्तेजना पैदा होने लगी, मेरी गर्मी बाहर आने लगी। कावेरी ने इतना अच्छे से मेरे लंड को चूसा की मेरे अंदर आग पैदा हो गई थी मैं ज्यादा देर तक अपने आपको नहीं रोक पाया। कावेरी ने जब अपने कपड़े खोले तो उसका बदन बड़ा ही सेक्सी था, मैं उसके लटकते हुए स्तनों को देख कर उस पर मोहित हो गया, मैंने उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैंने उसके स्तनों को इतने अच्छे से चूसा की मैं ज्यादा देर तक अपने अंदर के सेक्स की भूख को नहीं रोक पाया। मैंने उनकी योनि पर अपने लंड को लगाते हुए उनकी योनि के अंदर अपने लंड को साटा दिया, जब मेरा लंड उसकी योनि के अंदर घुसा तो वह बड़ी जोर से चिल्ला रही थी। वह मुझे कहने लगी मुझे तुम्हारे साथ सेक्स कर के बहुत मजा आ रहा है, ललित तुम ऐसे ही मुझे चोदते रहो। उसके मुंह से सिसकिंया निकल रही थी, वह मेरे लिए और भी जोश पैदा करने वाली थी। मैंने भी कावेरी को बड़ी तेज तेज धक्के दिए, मैंने उसे इतनी तेजी से चोदा की उसकी चूतड़ों से आवाज निकलने लगी। वह अपने पैरों को इतना खोलने लगी, मेरा लंड उसकी योनि की दीवार से टकराने लगी। मेरा लंड उसकी योनि से टकराता तो मेरे अंदर और भी ज्यादा गर्मी पैदा हो जाती, मेरे लंड ने भी जवाब दे दिया था, मेरे लंड से जैसे ही वीर्य बाहर की तरफ  निकलने लगा तो मैंने भी अपने वीर्य को कावेरी की योनि में डाल दिया।

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